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Thursday, October 10, 2024

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lok-sabha-elections पड़ताल ! लोकसभा चुनाव- 2024 जहां एक जून को होना हैं मतदान । पांच नदियों के प्रदेश पंजाब में कौन करेगा वर्चस्व स्थापित? काटेगा (cut) वोटों की फसल : प्रेस क्लब चाम्पा के अध्यक्ष कुलवन्त सिंह सलूजा की Exclusive report

 

lok-sabha-elections तपती गर्मियों के बीच अठारहवीं लोकसभा का आखिरी और सबसे दिलचस्प मुकाबला पंज प्यारों के प्रदेश पंजाब में होना है। पांच नदियों की उपजाऊ माटी के मैदान पर एक जून को दिलचस्प मुकाबला होना हैं ।दिलचस्प इसलिए कि कांग्रेस की अगुआई वाले इंडिया गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी यहां गठबंधन से अलग लड़ रही हैं । पूरे देश में राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल मिलकर प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोल रहे हैं, लेकिन पंजाब में दोनों दलों के नेता आपस में ही लड़ रहे हैं ।

lok-sabha-elections पड़ताल ! लोकसभा चुनाव- 2024 जहां एक जून को होना हैं मतदान । पांच नदियों के प्रदेश पंजाब में कौन काटेगा वोटों की फसल : प्रेस क्लब चाम्पा के अध्यक्ष कुलवन्त सिंह सलूजा की विशेष रिपोर्ट… तीन कोणिय संघर्ष में फंसा हैं पंजाब ।

lok-sabha-elections पड़ताल ! लोकसभा चुनाव- 2024 जहां एक जून को होना हैं मतदान । पांच नदियों के प्रदेश पंजाब में कौन काटेगा वोटों की फसल : प्रेस क्लब चाम्पा के अध्यक्ष कुलवन्त सिंह सलूजा की विशेष रिपोर्ट… पंजाब का मुकाबला इसलिए भी रोचक हैं कि यहां बरसों तक साथ रहे शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी अलग-अलग लड़ रहे हैं। पंजाब का मुकाबला इसलिए भी ज्यादा रोचक हो गया है, कल तक कमल को खिलने से रोकने के लिए पंजा भिड़ाते रहे दिग्गज हाथ इस बार कमल खिलाने की कोशिश कर रहे हैं ।

पंजाब की धरती नशे के कारोबारियों की चपेट में ।

lok-sabha-elections पड़ताल ! लोकसभा चुनाव- 2024 जहां एक जून को होना हैं मतदान । पांच नदियों के प्रदेश पंजाब में कौन काटेगा वोटों की फसल : प्रेस क्लब चाम्पा के अध्यक्ष कुलवन्त सिंह सलूजा की विशेष रिपोर्ट… देश की सबसे ज्यादा उपजाऊ पंजाब की माटी को ही माना जाता है। इस उपजाऊ जमीन पर हो रहे पंजाब के चुनावों पर असर डालने की कोशिश विदेशों में रह रहे खालिस्तानी उग्रवादी तक कर रहे हैं। खबरें यहां तक है कि भारत को तोड़ने की कोशिश में विदेशों से जुटे अलगाववादी तत्व एक खास दल को परोक्ष सहयोग दे रहे हैं । खुफिया ब्यूरो रह-रहकर इस सिलसिले में चेताता भी रहता हैं । यह बात जगजाहिर हो चुकी हैं कि एक बरस से ज्यादा वक्त तक चले किसान आंदोलन में पर्दे के पीछे से भी अलगाववादी ताकतें साथ दे रही थीं। पंजाब की धरती इन दिनों नशे के कारोबारियों की भी चपेट में हैं । वे राजनीति को भी नशे का डोज देने की कोशिश में हैं। पंजाब के चुनाव नतीजों पर इन सबका असर पड़े बिना नहीं रहेगा।

पंजाब के जरिए आम आदमी पार्टी अपने नेता अरविंद केजरीवाल को प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचाना चाहती हैं।

lok-sabha-elections पड़ताल ! लोकसभा चुनाव- 2024 जहां एक जून को होना हैं मतदान । पांच नदियों के प्रदेश पंजाब में कौन काटेगा वोटों की फसल : प्रेस क्लब चाम्पा के अध्यक्ष कुलवन्त सिंह सलूजा की विशेष रिपोर्ट… सोशल मीडिया पर अपनी तीव्र और आक्रामक पहुंच के जरिए आम आदमी पार्टी अपने नेता अरविंद केजरीवाल को प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाने का दावा अक्सर करती हैं । लेकिन हकीकत यह है कि पार्टी महज 22 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है, जिसमें सबसे ज्यादा 13 सीटें पंजाब की ही हैं । दिल्ली की सात, हरियाणा की एक और गुजरात में एक सीट पर ही आप लड़ रही हैं । अब तक पंजाब में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहा है, इस पर ध्यान देना जरूरी हैं ।

पिछला चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए नुकसान दायक ,लेकिन इस बार संभावना अधिक ।

lok-sabha-elections पड़ताल ! लोकसभा चुनाव- 2024 जहां एक जून को होना हैं मतदान । पांच नदियों के प्रदेश पंजाब में कौन काटेगा वोटों की फसल : प्रेस क्लब चाम्पा के अध्यक्ष कुलवन्त सिंह सलूजा की विशेष रिपोर्ट… 2019 के आम चुनावों में आप पार्टी को सिर्फ 7.38 प्रतिशत ही वोट मिले थे और उसे सिर्फ एक ही सीट पर जीत मिली थी , जबकि कांग्रेस को 40.12 प्रतिशत वोट और आठ सीटें मिली थीं। कांग्रेस की पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी शिरोमणि अकाली दल को 27.76 प्रतिशत वोट और दो सीटें मिलीं थी, जबकि उसकी सहयोगी रही बीजेपी को 9.63 प्रतिशत वोट और दो सीटें मिली थीं । पिछला चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए नुकसानदायक रहा था । क्योंकि उसके पहले यानी 2014 के आम चुनावों में पार्टी को 24.4 प्रतिशत वोट और चार लोकसभा सीटें मिली थीं। तब शिरोमणि अकाली दल को 26.30 प्रतिशत वोट और चार सीटें मिली थीं। तब उसकी सहयोगी रही बीजेपी को 8.70 प्रतिशत वोट और दो सीटें मिली थीं। सबसे ज्यादा यानी 33.10 प्रतिशत वोट हासिल करने वाली कांग्रेस के महज तीन लोकसभा सांसद ही चुने जा सके थे।

*आम आदमी पार्टी का पंजाब में दबदबा ।*

lok-sabha-elections पड़ताल ! लोकसभा चुनाव- 2024 जहां एक जून को होना हैं मतदान । पांच नदियों के प्रदेश पंजाब में कौन काटेगा वोटों की फसल : प्रेस क्लब चाम्पा के अध्यक्ष कुलवन्त सिंह सलूजा की विशेष रिपोर्ट… लेकिन इसी आम आदमी पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में बाजी पलट दी। तब उसे 42.10 प्रतिशत वोट मिले और 117 सदस्यीय विधानसभा में 92 विधायक जिताकर देश को चौंका दिया था । पार्टी ने इसी वजह से मौजूदा लोकसभा चुनाव में भी उम्मीद लगा रखी हैं। यही वजह हैं कि उसने कांग्रेस के साथ यहां चुनावी समझौता नहीं किया। अगर समझौता करती तो उसे साझा तरीके से लड़ना पड़ता।

*वर्षों तक छोटे भाई की भूमिका में रही अकाली दल ,अब संबंध हैं विच्छेद ।*

lok-sabha-elections पड़ताल ! लोकसभा चुनाव- 2024 जहां एक जून को होना हैं मतदान । पांच नदियों के प्रदेश पंजाब में कौन काटेगा वोटों की फसल : प्रेस क्लब चाम्पा के अध्यक्ष कुलवन्त सिंह सलूजा की विशेष रिपोर्ट… वैसे कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व भी ऐसी ही सोच के साथ पंजाब में आगे बढ़ता रहा। कांग्रेस ने अपने राज्य नेतृत्व के दबाव में साझा लड़ने के बजाय अकेले उतरने की तैयारी की। दोनों दलों के लिए अच्छी बात यह है कि पारंपरिक सहयोगी रहे शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी भी अलग-अलग मैदान में हैं । दोनों दलों के बेहतर रिश्तों के दौर में बीजेपी हमेशा शिरोमणि अकाली दल के छोटे भाई की भूमिका में रही हैं । बीजेपी की इस भूमिका से नवजोत सिंह सिद्धू नाखुश रहते थे। वे बीजेपी को अग्रिम पंक्ति में लाना चाहते थे। इसी वजह से वे शिरोमणि अकाली दल के निशाने पर रहे।

पंजाब में अकेले लड़ रही हैं भाजपा ,नैय्या कैसे पार लगेगी ।

lok-sabha-elections पड़ताल ! लोकसभा चुनाव- 2024 जहां एक जून को होना हैं मतदान । पांच नदियों के प्रदेश पंजाब में कौन काटेगा वोटों की फसल : प्रेस क्लब चाम्पा के अध्यक्ष कुलवन्त सिंह सलूजा की विशेष रिपोर्ट… यहां यह याद करना जरूरी है कि राहुल गांधी को पप्पू की उपाधि उन्होंने ही दी थी। यह बात और है कि अब वे कांग्रेस के साथ हैं । अब सिद्धू बीजेपी से बाहर हैं , लेकिन बीजेपी छोटे भाई की भूमिका से आगे निकलकर राज्य में अपना स्थान बनाने की कोशिश में हैं । गठबंधन के दिनों में चूंकि पार्टी सीमित सीटों पर ही ध्यान केंद्रित करती रही , लिहाजा वह राज्य में नेतृत्व विकसित नहीं कर पाई । जब पार्टी ने खुद के दम पर मैदान में उतरने की सोची तो उसके पास उम्मीदवारों का अकाल नजर आया ।

*पंजाब में भाजपा की संभावना कम दिख रही हैं ।*

सिख समाज छत्तीसगढ़ अपने समाज के बच्चों द्वारा हाई स्कूल एवम हायर सेकेंडरी में उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु 9 जून को रायपुर में सम्मानित करेगा

lok-sabha-elections पड़ताल ! लोकसभा चुनाव- 2024 जहां एक जून को होना हैं मतदान । पांच नदियों के प्रदेश पंजाब में कौन काटेगा वोटों की फसल : प्रेस क्लब चाम्पा के अध्यक्ष कुलवन्त सिंह सलूजा की विशेष रिपोर्ट… लिहाजा उसने कांग्रेस के स्थापित नेतृत्व रहे लोगों की ओर निगाह डाली । अपनी पार्टी में वे लोग भी नाखुश थे तो बीजेपी ने उन्हें साथ जोड़ लिया। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़, पंजाब की पटियाला से सांसद रहीं परणीत कौर, पंजाब कांग्रेस के दिग्गज नेता रवनीत सिंह बिट्टू आदि को बीजेपी ने शामिल कर लिया और मैदान में उतार दिया। कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे कैप्टन अमरिन्दर के मैदान में न होने की कमी कांग्रेस को ही नहीं पूरे पंजाब को जरूर खल रही होगी। जो नेता महज दो साल पहले तक राज्य में कमल को खिलने से रोकते रहे, वे ही अब राज्य में कमल खिलाने की कोशिश में प्राण पण से जुटे हुए हैं। पंजाब में बीजेपी की संभावना कम दिख रही हैं । किसान आंदोलन के चलते वह सबसे ज्यादा किसानों के निशाने पर भी रही है। राज्य में उसकी छवि शहरी पार्टी की ही रही हैं । लेकिन सभी शहरों में उसकी उपस्थिति नहीं रही । अगर विपरीत परिस्थिति में भी वह अपना खाता खोल पाती हैं या राज्य की तेरह में से दो-तीन सीटें झटक लेती है तो भविष्य के लिए उसकी राह आसान हो जाएगी।

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जनता एक जून को बटन दबाकर अपना फैसला देगी ।

lok-sabha-elections पड़ताल ! लोकसभा चुनाव- 2024 जहां एक जून को होना हैं मतदान । पांच नदियों के प्रदेश पंजाब में कौन काटेगा वोटों की फसल : प्रेस क्लब चाम्पा के अध्यक्ष कुलवन्त सिंह सलूजा की विशेष रिपोर्ट… वहीं कांग्रेस की कोशिश अपनी पुरानी स्थिति को बरकरार रखने की हैं । हालांकि इस बार ऐसा संभव नहीं लगता, क्योंकि उसका तकरीबन नब्बे फीसद शीर्ष नेतृत्व उसका साथ छोड़ गया हैं । शिरोमणि अकाली दल को लेकर जनता का उत्साह खास नजर नहीं आ रहा है। रही बात आम आदमी पार्टी की तो स्वाति मालीवाल की पिटाई प्रकरण के बाद वह भी बैकफुट पर नजर आ रही है। हालांकि वह विधानसभा चुनाव जैसे नतीजे की उम्मीद में हैं , लेकिन राज्य से आ रही खबरें पार्टी के लिए इतनी सुकूनदायक नहीं हैं । वैसे आखिरी फैसला मतदाता को ही करना होता है। एक जून को ईवीएम का बटन दबाकर वह अपना फैसला सुनाएगा । देखना यह हैं कि वह झाड़ू फिराता है या पंजे को मजबूत करता हैं या फिर कमल खिलाता हैं ।

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