जिला को मोतियाबिंद मुक्त बनाने का प्रयास: “स्वस्थ जांजगीर अभियान” की हकीकत
परिचय
जांजगीर-चांपा जिले में “स्वस्थ जांजगीर अभियान” के तहत मोतियाबिंद मुक्त बनाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। जिला अस्पताल जांजगीर और बीडीएम अस्पताल चांपा में निशुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर लगाए जा रहे हैं। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है कि जिले के हर नागरिक को मोतियाबिंद की समस्या से मुक्त किया जाए और उन्हें साफ दृष्टि प्रदान की जाए।
चांपा बीडीएम अस्पताल का योगदान
चांपा बीडीएम अस्पताल में हर सप्ताह के शुक्रवार को मोतियाबिंद ऑपरेशन किए जाते हैं। इस अस्पताल का योगदान इस अभियान में महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां नि:शुल्क ऑपरेशन किए जाते हैं, जिससे गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर लोग भी इस सुविधा का लाभ उठा सकें।
#### ऑपरेशन की प्रक्रिया
बीते शुक्रवार को चांपा बीडीएम अस्पताल में ग्राम बिरकोनी (अकलतरा) निवासी जगदीश बरेठ का मोतियाबिंद ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन दोपहर 12 से 1 बजे के बीच हुआ और ऑपरेशन सफल रहा। ऑपरेशन के बाद मरीज को आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की गईं और उसे अगले दिन दोबारा जांच के लिए बुलाया गया।
#### घटना का विवरण
शनिवार की दोपहर लगभग 12 से 1 बजे के बीच, जगदीश बरेठ की अचानक मौत हो गई। यह घटना अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ के बीच घटी। मरीज की मौत ने पूरे स्वास्थ्य विभाग को हिला दिया और सवाल खड़े कर दिए।
#### स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया
स्वास्थ्य विभाग ने मरीज की मौत को हार्ट अटैक से जोड़ते हुए सफाई दी। विभाग का कहना था कि मरीज को हार्ट की समस्या हो सकती है, जिसे ऑपरेशन से पहले जांचा जाना चाहिए था। परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया, जिससे यह मामला और भी गंभीर हो गया।
#### पुलिस की कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। चांपा पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने कहा कि मामले की पूरी सच्चाई पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही सामने आ सकेगी।
#### पोस्टमार्टम की प्रक्रिया
इस घटना के बाद, पोस्टमार्टम की प्रक्रिया तेजी से पूरी की गई। आमतौर पर पोस्टमार्टम में 8 से 10 घंटे का समय लगता है, लेकिन इस मामले में महज 2 घंटे में प्रक्रिया पूरी कर ली गई और मृतक की बॉडी परिजनों को सौंप दी गई।
#### एक्सपर्ट की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ऑपरेशन से पहले मरीज की पूरी जांच होनी चाहिए थी। अगर मरीज को हार्ट की समस्या थी, तो उसे ऑपरेशन से पहले ही पता लगाना चाहिए था। एक्सपर्ट्स ने इस घटना को स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही के रूप में देखा है।
#### सीएमएचओ की प्रतिक्रिया
मामले की जानकारी लेने के लिए सीएमएचओ डॉ. स्वाती वंदना सिसोदिया से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। इससे स्वास्थ्य विभाग की और भी आलोचना हो रही है कि वे अपनी गलती स्वीकार करने से बच रहे हैं।
#### स्वास्थ्य अमले की सफाई
स्वास्थ्य अमले ने मरीज की मौत को हार्ट अटैक से जोड़ते हुए कहा कि ऑपरेशन सफल रहा था और मरीज की हालत स्थिर थी। लेकिन अचानक हार्ट अटैक आने से उसकी मौत हो गई।
#### मरीज के परिजनों का आरोप
मरीज के परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अगर मरीज की पूरी जांच होती और उसकी हालत को गंभीरता से लिया जाता, तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी।
#### बीडीएम अस्पताल की प्रतिक्रिया
बीडीएम अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि मरीज की मौत के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया। डॉक्टर मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि मरीज बिस्तर पर बैठे-बैठे ही मुँह से लार निकलने लगा और आसपास के मरीजों ने इसकी सूचना दी। डॉक्टरों ने जाकर देखा तो उसकी मौत हो चुकी थी।
#### घटना के प्रभाव
इस घटना ने “स्वस्थ जांजगीर अभियान” की सफलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना दिखाती है कि नि:शुल्क चिकित्सा सुविधाओं में भी लापरवाही हो सकती है और मरीजों की जान को खतरा हो सकता है।
#### निष्कर्ष
इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और उनके द्वारा दिए जा रहे चिकित्सा सुविधाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह दिखाता है कि नि:शुल्क चिकित्सा सुविधाओं में भी लापरवाही हो सकती है और मरीजों की जान को खतरा हो सकता है।
#### भविष्य के कदम
स्वास्थ्य विभाग को इस घटना से सबक लेना चाहिए और अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करना चाहिए। मरीजों की पूरी जांच करने और उनकी चिकित्सा की गुणवत्ता में सुधार करने की आवश्यकता है।
#### अंत
जांजगीर-चांपा जिले में “स्वस्थ जांजगीर अभियान” के तहत मोतियाबिंद मुक्त बनाने के प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन इस घटना ने दिखा दिया है कि हमें चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए। हमें उम्मीद है कि इस घटना से सबक लेकर स्वास्थ्य विभाग अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सकेगा।
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