चाम्पा, अन्तर्राष्ट्रीय महिला पुरस्कार से सम्मानित डा. क्रांति खुटे कसडोल ने हरेली के शुभ अवसर पर देशवासियों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ मे हरेली त्यौहार कब बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है हरेली तिहर किसी भी राज्य में हर साल सावन मास के कृष्ण पक्ष अमावस्या को मनाया जाता है. छत्तीसढ़ में बहुत ही उत्सव से धूम – धाम से मनाया जाता है. यह एक कृषि का त्यौहार है जो किसान बहुत ही ख़ुशी के साथ हरेली तिहार मनाया जाता है. हरेली तिहार हर साल तो सावन के महिना में मनाया जाता है उस समय हर जगह हरियाली छाई रहती है खेतो से लेकर दुरी – दुरी तक हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है. पेड़ हो या पोधा सभी हरी भरी डालियों से भरा रहता है.
छत्तीसगढ़ में हरेली तिहार 2024 में 4 अगस्त दिन रविवार को है. छत्तीसगढ़ राज्य का पहला त्यौहार है जो छत्तीसगढ़ के लोग बहुत ही धूम – धाम से मनाया जाता है. हरेली तिहार के दिन से बहुत से खेलो का आयोजन किया जाता है. हरेली त्यौहार के दिन हर किसान कृषि की पूजा करते है तो वही बड़े से लेकर छोटे बच्चे तक गेंडी चढ़ते है. गेंडी चढ़कर गावो में घूमते है और गेंडी पर घुमने का खूब मजा लेते है.
डा.क्रांति खुटे ने और जानकारी देते हुए बताया है कि
हरेली का तिहार छत्तीसगढ़ का पहला तिहार है जो वहां के सभी लोग मिल जुलकर बहुत ही धूम धाम से मनाते है. हरेली त्यौहार हर वर्ष सावन मास के कृष्ण पक्ष अमावस्या को मनाया जाता है.
सावन मास के कृष्ण पक्ष के अमावस्य को मनाया जाता है तो इस महिना में धान की रोपनी होती है. छत्तीसगढ़ में लोग खेतो में जाकर धान रोपकर अपना काम करके घर आ जाते है और अपने कृषि से जुडी सभी औजारों को सफाई कर लेते है. उसके बाद अपने कुल देवी की पूजा करते है . दीपक और धुप जलाया जाता है अक्षत मीठा भी चढ़ाया जाता है.
कृषि से जुडी सभी औजार की पूजा की जाती है. उस दिन सभी के घर पकवान बना रहता है अपने गाय और भैस को पालतू जानवर को उस प्रसाद खिलाया जाता है जिससे उन जानवरों को कोई भी बीमारी नही होती है. हरेली तिहार के दिन सभी लोग अपन – अपने दरवाजा पर नीम टहनी तोड़ कर टांग देते है और इसी बहुत से खेल का आयोजन शुरु हो जाता है. हरेली तिहार के दिन सुबह से ही बच्चे से लेकर युवा तक 20 या 25 फिट तक गेंडी बनाया जाता है. उसी दिन सभी युवा एवं बच्चे गेंडी चढ़ते है गावं में घूमते है.छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्यौहार है जो वहां के लोग बहुत ही उत्सव के साथ मनाते है. हरेली त्यौहार के दिन सभी किसान अपने खेतो से सम्बन्धित सभी औजारो को साफ – सुथरा धो लेते है. उसके बाद अपने खेतो में जाकर उस दिन किसान धान के बिज को या उगने वाले जो भी फसल हो उसे बोया जाता है. बिज को बोया जाता है उसी समय पूजा की पूरी समग्री लेकर पूजा की जाती है और प्रथना की जाती है की जो हम फसल बो रहे है वह फसल अच्छी हो. हरेली तिहार के दिन पूजा करने से पर्यावरण शुद्ध और सुरक्षित रहता है और फसल उगती है तो किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं लगती है. हरेली तिहार मनाने से फसल को हानिकारक किट तथा अनेको बीमारिया नही होती है इसलिए हरेली तिहार मनाया जाता है,
हरेली के दिन खेतो में जाकर फसल के साथ कोई एक कांटे वाला पोधा को लगाकर फूल और मीठा अछत से पूजा करने से फसल को हानिकारक किट तथा अनेको बीमारिया नही होती है.
हरेली के दिन खेतो में जाकर उगे हुवे फसल को पूजन किया जाता है और दीपक धुप भी जलाया जाता है एसा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है. कभी भी खाने की कमी नहीं होती है.