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Tuesday, April 29, 2025

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शिक्षक दिवस पर शिक्षकों का राष्ट्राभिनंदन- डॉ. क्रांति खुटे

कसडोल-अंतरराष्ट्रीय महिला पुरूस्कार से सम्मानित डॉ. क्रांति खुटे ने देश के सभी शिक्षकों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि हमारे देश में शिक्षकों को बहुत आदर और सम्मान दिया जाता रहा हैं । धार्मिक और आध्यात्मिक शास्त्रों में कहा भी गया हैं कि स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान सर्वत्र पूज्यते ! हमारे भारतीय जनमानस में शिक्षकों या गुरुजनों की कितनी अधिक महिमा हैं कि यह दोहे में जगजाहिर हो जाता हैंं । इसीलिए शिक्षक को ईश्वर के समतुल्य माना जाता हैं। उन्होंने बताया कि 05 सितम्बर भारत के महान दार्शनिक,महान शिक्षक सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन के जन्मदिवस के रुप में मनाया जाता हैं। देश और समाज में शिक्षकों के निरंतर गिरते हुए स्थिति को देखकर उन्होंने अपना जन्मदिन शिक्षकों के आत्म-निरीक्षण के लिए समर्पित कर दिया ।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक सुप्रसिद्ध भारतीय दार्शनिक, श्रेष्ठ शिक्षक और राजनेता माने जाते हैं । उनका जन्म 5 सितंबर , 1888 को हुआ था । वे भारत के दूसरे राष्ट्रपति और हमारे देश के पहले उप-राष्ट्रपति थे । उन्हें भारतीय संस्कृति और दर्शन का गहन ज्ञान था और उन्होंने भारतीय दर्शन को विश्व मंच पर प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । राधा कृष्णन ने अपना जीवन शिक्षा को समर्पित किया और वे एक महान शिक्षक माने जाते हैं । उनकी शिक्षण शैली और विद्यार्थियों के प्रति उनका दृष्टिकोण अत्यधिक प्रभावशाली था । उनके सम्मान में, 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता हैं ।

उन्होंने अपने जीवन में कई किताबें लिखीं, जिनमें भारतीय दर्शन, धर्म और संस्कृति पर गहन विचार प्रस्तुत किए गए हैं। उनके योगदान के लिए उन्हें 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था । डॉ राधाकृष्णन जी के प्रेरक व्यक्तित्व और जीवनशैली और कार्य ने भारतीय शिक्षा और दर्शन को समृद्ध किया और उन्होंने अपने सिद्धांतों और विचारों से अनगिनत लोगों को प्रेरित किया हैं और करते रहेगा।

आइये हम-सब मिलकर राष्ट्र निर्माण में लगे हुए शिक्षकों को मजबूत बनाएं। उनकी हर समस्याओं को सुलझाने का काम करे। उनके साथ हम भी राष्ट्र निर्माण में सहभागी बने।क हमारा देश प्रजातांत्रिक हैं यह प्रजातंत्र तभी सार्थक और सफल होगा जब देश का हर विद्यार्थी शिक्षक होगा । पांच सितम्बर को ही नहीं बल्कि हर दिन शिक्षकों का मान-सम्मान करे तभी राष्ट्र सम्मानित होगा ।

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