जिला अस्पताल में सप्ताह में केवल एक दिन बुधवार को ही सोनाग्राफी होती है। यह अव्यवस्था जिला अस्पताल में पिछले एक साल से चली आ रही है मगर इस बड़ी समस्या को दूर करने न तो अस्पताल प्रबंधन गंभीर है और न ही प्रशासन द्वारा कोई पहल किया जा रहा है। मरीजों को होने वााली परेशानी से प्रशासन और विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को कोई सरोकार नहीं है।
जांजगीर – चांपा : जिला अस्पताल में सप्ताह में केवल एक दिन बुधवार को ही सोनाग्राफी होती है। यह अव्यवस्था जिला अस्पताल में पिछले एक साल से चली आ रही है मगर इस बड़ी समस्या को दूर करने न तो अस्पताल प्रबंधन गंभीर है और न ही प्रशासन द्वारा कोई पहल किया जा रहा है। मरीजों को होने वााली परेशानी से प्रशासन और विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को कोई सरोकार नहीं है।
जानकारी के बावजूद जिम्मेदारों के द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। व्यवस्था के नाम पर नवागढ़ के बीएमओ को सप्ताह में एक दिन बुलाकर सोनोग्राफी कराया जाता है। जिसके लिए सप्ताहभर तक इंतजार करना पड़ता है। वहीं जिनकों आवश्यकता रहती है वे प्राइवेट सेंटर में 900 से 1000 देकर सोनोग्राफी कराने मजबूर होते हैं। ऐसे में जिला अस्पताल में निश्शुल्क सोनोग्राफी की सुविधा जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रही है।
जिले के सबसे बडे अस्पताल में बुधवार को ही सोनोग्राफी होती है। क्योंकि यहां सालभर से रेडियोलाजिस्ट नहीं है। जिला अस्पताल में हर रोज बड़ी संख्या में लोग इलाज कराने के लिए आते हैं। खासकर गर्भवती महिलाओं को समय – समय पर गर्भ में पल रहे भ्रूण की जांच के लिए सोनोग्राफी कराना जरूरी रहता है। पहले सप्ताह में छुट्टी के दिनों को छोड़कर सभी दिन सोनाग्राफी होती थी, लेकिन सालभर पहले जिला अस्पताल में पदस्थ रेडियोलाजिस्ट के नौकरी छोड़ देने के बाद से स्थिति बिगड़ गई है। ऐसे में यहां सप्ताह में केवल एक दिन ही सोनोग्राफी होती है। मगर जिला प्रशासन सहित विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कोई पहल करने के बजाय केवल कागजी कार्रवाई करने तक ही सीमित हैं। कई बार तो मरीजों को बिना सोनोग्राफी के ही वापस लौटना पड़ता है या फिर बाहर प्राइवेट सेंटर से सोनाग्राफी करवाना पड़ रहा है।
दोनों ही दशाओं में मरीजों का खर्च बढ़ता है और दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। जिला अस्पताल में सोनोग्राफी के लिए डाक्टर नहीं है। ऐसे में एक दिन सोनाग्राफी करने के लिए नवागढ़ के बीएमओ को जिला अस्पताल बुलाया जाता है। गर्भवती महिलाएं बडी संख्या में जिला अस्पताल पहुंचकर सोनोग्राफी का इंतजार करती हैं। घंटो इंतजार के बाद उन्हें पता चलता है कि आज उनकी सोनोग्राफी नहीं हो पाएगी। इसके लिए उन्हें अगले बुधवार को फिर आना पड़ेगा। वहीं कई गंभीर मरीज भी रहते हैं।
ऐसे में उन्हें प्राइवेट सोनोग्राफी सेंटर की ओर रूख करना पड़ता है। ऐसे में एक तरफ प्रशासन स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की बात कहता है वहीं दूसरी तरफ जिला अस्पताल में सालभर में एक रेडियोलाजिस्ट की भर्ती नहीं की जा सकी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कितना गंभीर है।
प्राइवेट सेंटर में 1000 में जांच कराने मजबूर
जिला अस्पताल में सोनोग्राफी के लिए महिलाओं को एक हफ्ते तक इंतजार करना पड़ रहा है। गर्भवती महिलाओं से लेकर पेट की तकलीफ वाले मरीजों को इसके कारण परेशानी हो रहे है। इमरजेंसी केस वाले मरीज प्राइवेट सेंटरों पर 800 -1000 रुपए देकर सोनोग्राफी कराने को मजबूर हैं। सप्ताह में एक दिन बुधवार को सोनोग्राफी होने के कारण जिला अस्पताल में 40 से अधिक महिला, पुरुष पहुंचे थे। ऐसे में डाक्टर जितने लोगों का हो पाता है उतने का ही सोनोग्राफी करते हैं, इसके बाद पहुंचे मरीजों को लौटना पड़ता है। सोनोग्राफी भी ओपीडी टाइम सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक ही होती है।
स्त्री और हड्डी रोग के तीन तीन विशेषज्ञ
जिला अस्पताल में सबसे अधिक आवश्यकता सोनोग्राफी के लिए रेडियोलाजिस्ट की है। मगर रेडियोलाजिस्ट भर्ती के लिए अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन के द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं। जबकि जिला अस्पताल में स्त्री रोग, हड्डी रोग विशेषज्ञ के तीन तीन डाक्टरों की भर्ती डीएमएफ मद से की गई है।
” सोनोग्राफी के लिए जिला अस्पताल में डाक्टर नहीं हैं। नवागढ़ बीएमओ को एक दिन सोनोग्राफी के लिए बुलाया जाता है। रेडियोलाजिस्ट के पद पर जल्द ही नियुक्ति की जाएगी।
अंकित ताम्रकर
जिला अस्पताल प्रबंधक