शिवरीनारायण: महानदी के तट पररेत का अवैध उत्खनन लगातार जारी है, जिससे बैराज का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। प्रतिदिन सैकड़ों ट्रैक्टरों द्वारा रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है, लेकिन प्रशासन इस पर कोई सख्त कदम उठाने में नाकाम साबित हो रहा है। प्रशासनिक कार्रवाई न होने के कारण माफियाओं के हौसले बढ़ गए हैं और वे महानदी के सीने को छलनी करने से भी पीछे नहीं हट रहे।
बैराज को खतरा
रेत माफियाओं की गतिविधियों ने बैराज के अस्तित्व को संकट में डाल दिया है। करोड़ों की लागत से बना यह बैराज लगातार हो रहे अवैध उत्खनन के चलते क्षतिग्रस्त हो सकता है। अगर जल्द ही रेत का अवैध उत्खनन पर रोक नहीं लगाई गई, तो यह संरचना पूरी तरह से नष्ट हो सकती है।
नया तरीका अपनाया माफियाओं ने
पहले जेसीबी और भारी मशीनों की मदद से रेत का उत्खनन किया जाता था, लेकिन अब माफियाओं ने रणनीति बदलते हुए ट्रैक्टरों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। प्रतिदिन सुबह से रात तक सैकड़ों ट्रिप रेत का अवैध परिवहन किया जा रहा है। भोगहापारा घाट का ठेका खत्म हुए एक साल से ज्यादा हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद यहां अवैध उत्खनन बेधड़क जारी है।
प्रशासन की उदासीनता
रेत माफियाओं द्वारा अवैध रूप से रेत का विक्रय मनमानी कीमतों पर किया जा रहा है, जिससे वे रोजाना लाखों रुपये कमा रहे हैं। बावजूद इसके, संबंधित अधिकारियों की उदासीनता इस अवैध कारोबार को बढ़ावा दे रही है। ट्रैक्टरों के ओवरलोडिंग के कारण सड़कों पर दुर्घटनाओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है, लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हो रही है।
राजस्व का नुकसान
रेत के अवैध उत्खनन से शासन को भी भारी राजस्व हानि हो रही है। खनिज विभाग और पर्यावरण विभाग से किसी भी प्रकार की अनुमति न होने के बावजूद, माफियाओं द्वारा बिना रॉयल्टी के रेत की बिक्री जारी है, जिससे सरकार को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है।