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Wednesday, January 15, 2025

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छत्तीसगढ़ – भाई को जेल से छुड़ाने आया, खुद लूट में फंसा और पहुंचा सलाखों के पीछे

छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में नवागढ़ पुलिस और साइबर टीम ने हाल ही में एक अनोखी आपराधिक घटना को उजागर किया है, जो न सिर्फ हैरान करने वाली है बल्कि अपराध की जटिलताओं और मानवीय भावनाओं के धागों को भी बारीकी से उजागर करती है। यह कहानी झारखंड के दो भाईयों की है, जिनमें से एक जेल से अपने भाई को छुड़ाने के लिए आया था लेकिन अंत में खुद को भी जेल की सलाखों के पीछे पाया।

घटना की शुरुआत: एक साधारण सा दिन

28 सितंबर का दिन था और छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के नवागढ़ थाना क्षेत्र का ग्राम सेमरा, साप्ताहिक बाजार की चहल-पहल से भरा हुआ था। ग्रामीण ताजे सब्जियों, फलों और अन्य वस्त्रों की खरीदारी कर रहे थे। इसी भीड़भाड़ में हीरागढ़ निवासी तिलेश्वर प्रसाद कश्यप भी अपनी रोज़मर्रा की जरूरतों के लिए बाजार में आया था। भीड़ में खड़े-खड़े वह सब्जियों की कीमत पूछ ही रहा था कि अचानक दो अज्ञात व्यक्ति उसकी ओर आए, एक ने उसे हल्का सा धक्का दिया और दूसरे ने उसके जेब में रखे मोबाइल को चुपचाप निकाल लिया। तिलेश्वर को जब तक इसका एहसास हुआ, तब तक वे दोनों तेजी से भीड़ में गायब हो चुके थे।

इसी तरह का एक और वाकया उसी बाजार में हुआ। रामकुमार साहू, जो कैथा थाना बिलाईगढ़ से थे, अपनी आवश्यकताओं की खरीदारी के लिए बाजार में गए थे। जैसे ही वे अपने खरीदे सामानों को देख रहे थे, दो अज्ञात व्यक्ति उनकी ओर आए, और पहले की तरह, उन्हें धक्का दिया और उनकी शर्ट की जेब से मोबाइल उड़ा ले गए। जब तक रामकुमार कुछ समझ पाते, वे व्यक्ति भी भीड़ में लुप्त हो चुके थे।

दोनों व्यक्तियों ने अलग-अलग समय पर थाने में जाकर इस घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस के पास अब दोनों घटनाओं को जोड़ने का समय आ गया था। नवागढ़ पुलिस और साइबर टीम ने मिलकर अपराधियों को पकड़ने का काम शुरू किया।

आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी

पुलिस को मुखबिरों से सूचना मिली कि तीन व्यक्ति सेमरा बाजार की ओर से ऑटो में बैठकर जांजगीर की ओर भाग रहे हैं। साइबर टीम और पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और बताए गए ऑटो को रोका। उसमें बैठे तीन व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया। इन तीनों में से दो व्यक्ति झारखंड के निवासी थे— मनोरंजन कुमार मंडल और सूरज कुमार मंडल।

जब पुलिस ने इनसे पूछताछ शुरू की तो खुलासे ने सभी को चौंका दिया। मनोरंजन कुमार मंडल का भाई पहले से ही जांजगीर जिला जेल में मोबाइल चोरी और लूट के मामले में बंद था। मनोरंजन ने बताया कि वह अपने भाई को छुड़ाने के लिए जांजगीर आया था। लेकिन उसने अपने भाई को जेल से निकालने की जगह, खुद लूटपाट में शामिल होने का निर्णय लिया।

लूट की योजना: कैसे बनी साजिश

मनोरंजन कुमार मंडल ने अपने दोस्त सूरज मंडल के साथ मिलकर लूटपाट की योजना बनाई। इस योजना में उनकी मदद एक तीसरे व्यक्ति, परमेश्वर सारथी ने की, जो एक ऑटो चालक था। मनोरंजन ने बताया कि वह परमेश्वर सारथी को जानता था और उससे उसकी मुलाकातें भी होती रहती थीं। परमेश्वर ने उसे बताया कि सेमरा का साप्ताहिक बाजार एक ऐसा स्थान है जहाँ भीड़ अधिक होती है और वहां लूटपाट करना आसान हो सकता है।

28 सितंबर को, सूरज मंडल जांजगीर आया और दोनों ने साथ में लूट की योजना को अंतिम रूप दिया। वे परमेश्वर सारथी के ऑटो में बैठकर सेमरा के बाजार की ओर निकले। उनके पास एक ही मकसद था: भीड़ का फायदा उठाकर किसी से मोबाइल छीन लेना। जैसे ही वे बाजार पहुंचे, उन्हें ज्यादा देर नहीं लगी और उन्होंने पहले तिलेश्वर प्रसाद कश्यप का मोबाइल चुराया और फिर रामकुमार साहू का। इसके बाद, वे तेजी से ऑटो में बैठकर वहां से भाग निकले।

जेल में बंद भाई का अद्भुत संयोग

इस घटना का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि मनोरंजन अपने भाई को जेल से छुड़ाने के इरादे से आया था, लेकिन उसके खुद के किए गए गलत फैसलों ने उसे उसी रास्ते पर खड़ा कर दिया, जहां उसका भाई पहले से था।

यह कहानी न सिर्फ मनोरंजन और सूरज की गिरफ्तारी और उनके जेल जाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गहरी मानवीय विडंबना को भी उजागर करती है। अपने भाई के प्रति प्रेम और उसे मुसीबत से निकालने की कोशिश ने मनोरंजन को गलत रास्ते पर धकेल दिया। हालात ने उसे ऐसा महसूस कराया कि लूटपाट ही उसके भाई को जेल से बाहर निकालने का एकमात्र रास्ता हो सकता है। लेकिन कानून की पकड़ से बचना इतना आसान नहीं था, और अंततः वह खुद उसी जेल में पहुंच गया, जहां उसका भाई पहले से कैद था।

नवागढ़ पुलिस की सफलता

नवागढ़ पुलिस और साइबर टीम की सतर्कता और सक्रियता ने इस मामले को सफलतापूर्वक सुलझाया। मुखबिर की जानकारी पर तत्काल कार्रवाई करते हुए, उन्होंने आरोपियों को धर-दबोचा और उन्हें न्यायालय के सामने पेश किया। न्यायालय ने तीनों आरोपियों— मनोरंजन कुमार मंडल, सूरज कुमार मंडल, और परमेश्वर सारथी— को जेल भेज दिया।

पुलिस की यह कार्रवाई न सिर्फ अपराधियों को पकड़ने में सफल रही, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि चाहे अपराध कितना ही चतुराई से क्यों न किया गया हो, पुलिस की निगाहों से बचना मुश्किल है। इस घटना के बाद बाजार में लौटने वाले लोगों के बीच यह चर्चा थी कि कैसे कुछ पल की गलती, एक व्यक्ति को पूरे जीवन के लिए अपराध की जंजीरों में बांध सकती है।

अपराध की जड़ में क्या था?

इस पूरे मामले को समझने के लिए जरूरी है कि हम इस पर विचार करें कि आखिर मनोरंजन और सूरज को इस अपराध के लिए प्रेरित करने वाले कारक क्या थे। यह महज पैसे या लालच की बात नहीं थी, बल्कि एक बड़े भाई का अपने छोटे भाई को संकट से निकालने की कोशिश भी थी। लेकिन जैसे ही परिस्थितियां अनुकूल नहीं हुईं, उन्होंने गलत कदम उठा लिया।

इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि कभी-कभी हमारे अच्छे इरादे भी हमें गलत रास्ते पर ले जा सकते हैं। मनोरंजन का भाई जेल में था, और उसे वहां से निकालने की उसकी मंशा ने उसे अपराध की ओर धकेल दिया। अगर वह थोड़ा सोच-समझकर चलता, तो शायद वह सही तरीके से अपने भाई की मदद कर सकता था, लेकिन अपराध का रास्ता चुनने से उसकी स्थिति और भी बिगड़ गई।

समाज और अपराध: एक सबक

यह घटना समाज के लिए एक सबक है कि कभी-कभी हमारी परिस्थितियाँ हमें ऐसे गलत फैसले लेने के लिए मजबूर कर देती हैं, जिनके परिणाम हम सोच भी नहीं सकते। मनोरंजन और सूरज ने अपने संकट से निपटने के लिए अपराध का सहारा लिया, लेकिन अंत में उन्हें जेल का रास्ता देखना पड़ा।

यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि कानून के सामने कोई भी अपराध छोटा या बड़ा नहीं होता। चाहे वह एक मोबाइल की चोरी हो या किसी बड़ी साजिश का हिस्सा, कानून की नजर में हर अपराध एक समान है, और उसे बर्दाश्त नहीं किया जाता।

आखिर में

मनोरंजन कुमार मंडल और सूरज कुमार मंडल की इस कहानी में हमें यह स्पष्ट रूप से दिखता है कि कैसे एक छोटे से गलत कदम का परिणाम भयंकर हो सकता है। भाई को जेल से छुड़ाने की इच्छा में वे खुद जेल में पहुंच गए। यह कहानी न केवल एक अपराध की है, बल्कि उस मानवीय जटिलता की भी है जो हमें अच्छे और बुरे के बीच की रेखा को धुंधला कर देती है।

यह घटना नवागढ़ पुलिस और साइबर टीम की सतर्कता का भी प्रतीक है, जिन्होंने समय पर कार्रवाई करते हुए अपराधियों को पकड़ लिया और उन्हें न्याय के कटघरे में खड़ा किया। इस पूरे मामले ने साबित कर दिया कि चाहे अपराध कितना भी योजनाबद्ध क्यों न हो, कानून की पकड़ से बचना लगभग असंभव है।

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