जांजगीर-चांपा। जिला मुख्यालय जांजगीर से लगे ग्राम पंचायत खोखरा में मुनुंद मार्ग में बने स्टेडियम का तीन करोड़ रुपए की लागत से जीणोद्धार कार्य किया गया है, लेकिन मौके पर जाकर देखने पर इस कार्य की असलियत सामने आ रही है। कागज़ों में जहां स्टेडियम का रूप चमचमाता नजर आता है, वहीं हकीकत में वहां घोटाले की महक आ रही है।
विभागीय जानकारी में दावा किया गया था कि इस स्टेडियम में बॉक्स क्रिकेट, फुटबॉल, बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, रनिंग ट्रैक, बैडमिंटन, लंबी कूद, कबड्डी, लॉन टेनिस, स्केटिंग ग्राउंड, योगा ग्राउंड और खो-खो जैसे खेलों की सुविधाएं दी जाएंगी। लेकिन मौके पर स्थिति पूरी तरह से भिन्न है। फुटबॉल मैदान में घास मरी हुई है, और यहां बड़े-बड़े गड्ढे, पत्थर पड़े हुए हैं, जो खिलाड़ियों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। वहीं रनिंग ट्रैक पर डामर चढ़ाकर उसे तैयार किया गया है, जो कि स्पाइक जूते पहनकर दौड़ने के लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं है और चोट लगने का खतरा भी है।
खबरों में छाई वाहवाही, वास्तविकता में सिर्फ धोखा
जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत खोखरा से प्रस्ताव मिलने के बाद स्टेडियम जीर्णोद्धार के लिए डीएमएफ से राशि स्वीकृत की गई थी। इसके लिए ग्राम पंचायत खोखरा को निर्माण एजेंसी बनाया गया था जबकि नियमों के अनुसार 50 लाख रुपये से अधिक के निर्माण कार्य के लिए ग्राम पंचायत को निर्माण एजेंसी नहीं बनाया जाता है। लेकिन नियमों को दरकिनार करते हुए ग्राम पंचायत को यह जिम्मेदारी सौंपी गई, और अधिकारी के करीबी को ठेका दे दिया गया। जिसके द्वारा निर्माण में जमकर भर्राशाही बरती गई है।
मुख्यमंत्री के हाथों लोकार्पण और प्रशासन की चुप्पी
कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के हाथों इस स्टेडियम का लोकार्पण भी करा दिया गया, और जिला प्रशासन ने खबरों के जरिए खूब वाहवाही भी बटोरी। लेकिन असलियत यह है कि स्टेडियम की सुविधाओं में कई खामियां हैं। इसके अलावा, स्टेडियम में लगाए गए स्ट्रीट लाइट्स और बाथरूम की गुणवत्ता भी बेहद घटिया है। लाइट्स थर्ड क्वालिटी की लगी हैं और बाथरूम की सीट्स भी बहुत निम्न गुणवत्ता की हैं। इनकी हालत देखकर ऐसा लगता है कि 3 करोड़ के नाम पर सिर्फ दिखावा किया गया है, जबकि जमीनी स्तर पर स्थिति बहुत खराब है।
सवालों से बचते सरपंच और सचिव
इस पूरे मामले में सरपंच राधे थवाईत और सचिव गजानंद साहू से जब सवाल किए गए, तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया और गोलमोल जवाब देने की कोशिश की। इससे यह साफ हो गया कि इस निर्माण कार्य में जमकर घोटाला किया गया है और जांच का विषय बन चुका है। अगर इस मामले की सही जांच हुई, तो ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा और पंचायत सचिव व अन्य अधिकारी ऊपर भी कार्रवाई हो सकती हैं।