
चाम्पा (करन सिंह)/ छत्तीसगढ़ सहित देशभर में कांग्रेस ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति प्रक्रिया को इस बार काफी सख्त और व्यवस्थित बना दिया है। अब किसी भी दावेदार को केवल मौखिक दावे नहीं, बल्कि लिखित रूप से विस्तृत जानकारी देनी होगी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (दृष्टष्ट) ने इसके लिए 12 बिंदुओं में आधारित 3 पेज का आवेदन-पत्र तैयार किया है, जिसे दावेदारों को पर्यवेक्षकों को सौंपना अनिवार्य होगा।
चयन के इस बार की प्रक्रिया से उन दावेदारों की छंटनी आसान होगी जो केवल राजनीतिक जुड़ाव के भरोसे नाम आगे बढ़ाते रहे हैं। पार्टी अब पारदर्शिता, राजनीतिक अनुभव, सामाजिक सक्रियता और संवेदनशीलता के आधार पर जिलाध्यक्षों की नियुक्ति करेगी।
आवेदन पत्र में सबसे पहले व्यक्तिगत जानकारी और सभी सोशल मीडिया हैंडल (व्हाट्सएप, फेसबुक, एक्स आदि) की जानकारी मांगी गई है। इसके बाद, कांग्रेस पार्टी में सक्रिय रहने की
जांजगीर चांपा जिले में जिलाध्यक्ष की दौड़ में लगभग आधे दर्जन लोगों के नाम सामने आए हैं जिसमें राजेश अग्रवाल, दिनेश शर्मा, रमेश पैगवार सहित कई अन्य नाम आ रहे हैं सामने
अवधी के बारे में पूछा गया है, इसके बाद क्रमवार पहला पद संभालने का समय, वर्तमान पद, अब तक के सभी पदों का वर्षवार विवरण, चुनाव लड़ने की स्थिति में वर्ष, पद, परिणाम और वोट प्रतिशत की जानकारी मांगी गई है। कांग्रेस ने इस बार सामाजिक सक्रियता को भी बड़ा मानक बनाया है। दावेदारों से पूछा गया है कि वे किन सामाजिक संगठनों से जुड़े हैं, गतिविधियों का विवरण क्या है और वे कांग्रेस पार्टी के किस प्रशिक्षण शिविर में कब शामिल हुए हैं। जो दावेदार पूर्व में दूसरी पार्टी से कांग्रेस में आए हैं, या पहले निष्कासित हुए हैं या स्वयं पार्टी छोड़ चुके थे, उन्हें इसकी स्पष्ट जानकारी आवेदन में देनी होगी। इसके साथ ही, यदि किसी दावेदार
पर कोई आपराधिक मामला लंबित या निपटाया गया है, तो उसकी भी पूर्ण जानकारी आवेदन के साथ जमा करना अनिवार्य होगा।
सबसे महत्वपूर्ण प्रश्नों में से एक है आप जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष क्यों बनना चाहते हैं? दावेदार को न केवल इसका कारण बताना होगा, बल्कि अपनी योग्यता, कार्य योजना और यह भी बताना होगा कि पार्टी उन्हें क्यों चुने, इसका ठोस विवरण लिखित में देना होगा। पार्टी ने आवेदन प्रक्रिया को ज्यादा गंभीर और पारदर्शी बना दिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक समीकरण, जातीय संतुलन और संगठनात्मक समीपता जैसे पहलुओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।


